भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 22 मई 2019 को पीएसएलवी-सी46 के ज़रिए ‘रीसैट -2बी’ (RISAT-2B) रडार सैटेलाइट का सफल प्रक्षेपण किया है. यह इस सीरीज का चौथा सैटेलाइट है. यह सैटेलाइट दिन, रात, घने बादल और बारिश में भी निगरानी रख सकता है.
प्रक्षेपण के दौरान रॉकेट अपने साथ 615 किलोग्राम रीसैट -2बी को ले गया है. रीसैट-2 के करीब सात साल बाद रीसैट-2बी को प्रक्षेपित किया गया है. प्रक्षेपण के करीब 15 मिनट बाद रॉकेट ‘रीसैट -2बी’ को लगभग 555 किलोमीटर दूर वाली कक्षा में स्थापित कर दिया. यह पहली बार है जब भारत ने अंतरिक्ष में इस तरह से स्वदेशी तकनीक लॉन्च की हैं.
रीसैट -2बी का उपयोग एवं खासीयत:
• रीसैट -2बी का उपयोग कृषि क्षेत्र, वन विज्ञान और आपदा प्रबंधन में किया जाएगा. इसके साथ ही देश की आंतरिक सुरक्षा एवं आपदा राहत कार्य में लगे लोगों सुरक्षाबलों को रीसैट -2बी से काफी मदद मिलेगी.
• इससे भारतीय सुरक्षा बलों को बॉर्डर पर निगरानी रखने में मदद मिलेगी. इस सैटेलाइट से भारतीय सुरक्षा बलों की सभी मौसम में निगरानी की क्षमता बढ़ जाएगी.
• इस सैटेलाइट से पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकी शिविरों की गतिविधियों पर भी नजर रखी जा सकेगी. यह सैटेलाइट धरती पर मौजूद किसी बिल्डिंग या किसी वस्तु की तस्वीरें दिनभर में ही दो से तिन बार ले सकती है.
• इस सैटेलाइट के जरिए जमीन पर तीन फीट की ऊंचाई तक की बेहतरीन तस्वीरें ली जा सकती हैं. यह सैटेलाइट सीमाओं पर घुसपैठ रोकने में भी सुरक्षाबलों को सहायता प्रदान करेगा.
• यह हर मौसम में चाहे रात, बादल हो या बारिश, ऑब्जेक्ट की सटीक लोकेशन और उसकी तस्वीरें जारी करेगा.
पृष्ठभूमि:
रीसैट (RISAT) सीरीज का पहला सैटेलाइट 20 अप्रैल 2009 को लॉन्च किया गया था. 300 किलोग्राम का सैटेलाइट X-बैंड सिंथेटिक एपर्चर का इस्तेमाल करता है. इस सैटेलाइट को इजरायल ऐरोस्पेस इंडस्ट्रीज ने बनाया है था.
इसरो भविष्य में रीसैट जैसे छह और नए उपग्रह प्रक्षेपित करने की योजना बना रहा है. इनमें रीसैट -2 बी के बाद रीसैट -1ए, रीसैट 2ए, रीसैट -2बीआर1, रीसैट -2बीआर2, और रीसैट -1बी प्रमुख उपग्रह हैं.
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