रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 13 मई 2019 को ओडिशा के चांदीपुर में ‘अभ्यास’ ड्रोन का सफल परीक्षण किया. परीक्षण के समय अभ्यास ड्रोन को विभिन्न राडार और इलेक्ट्रो ऑप्टिक सिस्टम द्वारा ट्रैक किया गया था और सही तरीके से नेविगेशन मोड में रखा गया था.
अभ्यास ड्रोन को एक ऑटोपायलट की मदद से स्वतंत्र उड़ान हेतु डिजाइन किया गया है. इसके नेविगेशन के लिए देश में ही विकसित माइक्रो-इलेक्ट्रोमेकैनिकल सिस्टम (एमईएमएस) आधारित नेविगेशन प्रणाली का उपयोग किया गया है.
अभ्यास कैसे काम करता है?
• अभ्यास ड्रोन एक छोटे गैस टरबाइन इंजन पर काम करता है. यह एमईएमएस नेविगेशन सिस्टम पर काम करता है. डीआरडीओ के अनुसार यह एक बहुत ही अच्छा एयरक्राफ्ट है जो नवीन तकनीक का उदाहरण है और देश की रक्षा प्रणाली को मजबूती देगा.
• इसको उड़ान भरने के लिए किसी बाहरी चीज के मदद की आवश्यकता नहीं होती है. इस प्रणाली को सिमुलेशन के अनुसार प्रदर्शित किया गया है और लागत को ध्यान में रखते हुए मिशन की जरूरत को पूरा करने के लिए अभ्यास की क्षमता को दिखाया गया है.
• इस ड्रोन का इस्तेमाल अलग-अलग तरीके की मिसाइल और एयरक्राफ्टस का पता लगाने के लिए हो सकता है. अभ्यास ड्रोन को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह ऑटोपायलट की मदद से अपने टारगेट पर आसानी से निशाना लगा सकता है.
अभ्यास का पहला टेस्ट
साल 2012 में अभ्यास को पहली बार लॉन्च किया गया था. अभ्यास ड्रोन की अवधारणा और पूर्व-परियोजना विवरण जनवरी 2013 में तैयार किया गया था. अभ्यास की शुरुआती लागत 15 करोड़ रुपये थी. इस ड्रोन का डिजायनिंग इसके लक्ष्य पर आधारित था. लक्ष्य डीआरडीओ के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (एडीई) की ओर से विकसित की गई एक हाई स्पीड ड्रोन प्रणाली है.
अमेरिका के प्रीडेटर ड्रोन की तर्ज पर रुस्तम-2 विकसित:
इसके पहले अप्रैल 2019 में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने अमेरिका के प्रीडेटर ड्रोन की तर्ज पर रुस्तम-2 को विकसित किया था. इस ड्रोन का 06 अप्रैल 2019 को परीक्षण किया गया था जो सफल रहा था.
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