मुख्य बिंदु:
पिछले कुछ दिनों से सुर्ख़ियों में रहने वाली ट्रेन 18 अपनी खूबियों की वजह से चर्चा में है। ये ट्रेन भारत की पहली लम्बी दूरी तय करने वाली इंजनलेस ट्रेन है जिसकी रफ़्तार भी अन्य भारतीय ट्रेनों के मुकाबले सबसे ज़्यदा है। ट्रेन 18 को भारतीय रेल की अग्रणी उत्पादन इकाई इंटीग्रल कोच फैक्ट्री द्वारा बनाया गया है। जिसमें कुल लगभग 100 करोड़ रूपये का खर्च आया है।
इंटीग्रल कोच फैक्ट्री ट्रेन में लगने वाले कोचों यानी रेल डब्बों का निर्माण करती हैं, जोकि भारत में रेलवे यात्री कोचों की उत्पादन करने वाली पहली फैक्ट्री है। इंटीग्रल कोच फैक्ट्री दक्षिण भारत के चेन्नई शहर में स्थित है और ये साल 1955 से ही अपनी सेवाएं भारतीय रेल को प्रदान कर रही है।
ट्रेन 18 का ट्रायल 29 अक्टूबर 2018 से जारी है जिसे बाद में RDSO यानी रिसर्च, डिज़ाइन एंड स्टैण्डर्ड आर्गेनाईजेशन को सौंप दिया गया था। जहां से इस ट्रेन को आगे के परीक्षण के लिए अनुमति मिली। RDSO रेल मंत्रालय के अधीन शोध और विकास के लिए काम करने वाली संस्था है जोकि रेलवे के लिए तकनीकी सलाहकार की भूमिका निभाती है। रिसर्च, डिज़ाइन एंड स्टैण्डर्ड आर्गेनाईजेशन इसके अलावा भी - रक्षा अनुसंधान इंजन विकास, EMU और विद्युत आपूर्ति के साथ साथ रेलवे ट्रैक के परीक्षण, जैसे कई और कामों में भी भारतीय रेलवे की मदद करती है।
सेमि हाई स्पीड ट्रेन-18 को बन कर तैयार होने में कुल 18 महीने का समय लगा है जिसमें इस्तेमाल होने वाले लगभग 80 फीसदी पार्ट भारत में ही बनाए गए हैं।
दरअसल ट्रेन 18 आधुनिक सेवाओं से लैस नेक्स्ट जनरेशन ट्रेन है जोकि सामान्य भारतीय ट्रेनों से काफ़ी अलग है। इस ट्रेन में आटोमेटिक एंट्री और एग्जिट डोर के साथ एडवांस सस्पेंशन सिस्टम लगा हुआ है जोकि यात्रियों को ज़्यदा स्पीड के दौरान भी झटका नहीं महसूस होने देगी ।
ट्रेन -18 में इंजन नहीं होने को लेकर जो चर्चा चल रही है उसके बारे में हम आपको बता दे कि जैसे आप देखते होंगे कि सामान्य ट्रेनों में सामने एक इंजन लगा होता है। किसी किसी ट्रेन में ये इंजन ज़्यदा लोड की वजह से एक की बजाय 2 भी हो जाते हैं। जबकि ट्रेन 18 में आपको कोई इंजन इसलिए नहीं दिखाई देगा क्योंकि इस ट्रेन के सभी पहियों में छोटे छोटे मोटर के साथ कम्प्रेस्सर लगा हुआ है। जोकि ट्रेन-18 के लिए इंजन का काम करेंगे। इसके अलावा ये मोटर और कम्प्रेस्सर ट्रेन को जल्दी रोकने और गति पकडाने में भी सहायक होंगे।
इस ट्रेन में कुल 16 कोच है जोकि इंटर कनेक्टेड गैंगवे के जरिये एक दूसरे से जुड़े रहेंगे। ट्रेन -18 में GPS आधारित यात्री सूचना प्रणाली, WIFI और इंफोटेनमेंट जैसे कई सुविधाएँ दी गयी हैं जोकि इस ट्रेन को वर्ल्ड क्लास की श्रेणी में शामिल करती है।
ट्रेन -18 के सभी कोचों में CCTV कैमरे के साथ आर्टिफिशल एडवांस इंटेलिजेंस सिस्टम से लैस है जो की वातावरण के हिसाब से ट्रेन को ठंढा या गर्म रखेगी।
आधिकारिक नोटिफिकेशन के मुताबिक ट्रेन -18 शताब्दी ट्रेन की जगह लेगी। शताब्दी ट्रेन का सञ्चालन 1988 से ही ज़ारी है जोकि मेट्रो शहरों को अन्य प्रमुख शहरों से जोड़ने का काम करती है। ट्रेन -18 की एक खासियत ये भी है कि यदि इस ट्रेन के मुताबिक ट्रैक तैयार कर लिए जाय तो ये शताब्दी ट्रेन से करीब 15 फीसदी कम समय लेगी।
हाल ही में हुए ट्रेन- 18 के एक ट्रायल के दौरान इसकी स्पीड 180 किलोमीटर प्रति घंटे रिकॉर्ड की गई जिसके बाद ट्रेन -18 भारत की सबसे तेज़ गति से चलने वाली ट्रेन बन गई। इससे पहले गतिमान एक्सप्रेस भारत की सबसे तेज़ गति से चलने वाली ट्रेन थी। जिसकी रफ़्तार 160 किलोमीटर प्रति घंटे की है।
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