भारत सरकार ने श्रीलंका के विद्रोही संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) पर लगे प्रतिबंध को जारी रखा है. केंद्र सरकार ने एक नई अधिसूचना जारी करते हुए लिट्टे पर लगे बैन को आगे बढ़ा दिया है.
भारत सरकार के अनुसार, लिट्टे एक हिंसक पृथकतावादी अभियान शुरू कर के उत्तर और पूर्वी श्रीलंका में एक स्वतंत्र तमिल राज्य की स्थापना करना चाहते थे.
सरकार ने यह फैसला क्यों लिया?
केंद्र सरकार ने यह फैसला इसलिए लिया क्योंकि लिट्टे अभी भी भारत विरोधी गतिविधियों में लिप्त है. लिट्टे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है. सरकार हर दो साल के लिए लिट्टे पर प्रतिबंध लगाता है तथा दो साल बाद उसे बढ़ा दिया जाता है.
मुख्य बिंदु:
• लिट्टे के संघर्ष के दौरान श्रीलंका सरकार के विरुद्ध शांति बहाली के लिए द्वीपीय देश गई भारतीय सेना को वहां बल प्रयोग करना पड़ा था.
• श्रीलंका में भारतीय सेना ने ही लिट्टे प्रमुख वेलुपिल्लई प्रभाकरन और उसके सभी प्रमुख सहयोगियों को मार कर तमिल विद्रोही संगठन का सफाया कर दिया था.
• श्रीलंका में लिट्टे ने भी कई आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया था. लिट्टे फिर से खड़े होने का प्रयास कर रहे हैं, भारत में खासकर तमिलनाडू में अपने समर्थन का आधार बढ़ा रहे हैं जो भारत की प्रभुता और अखंडता पर प्रबल विघटनकारी प्रभाव डालेगा.
लिट्टे क्या है?
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लिट्टे एक अलगाववादी संगठन है, जो औपचारिक रूप से उत्तरी श्रीलंका में सक्रिय है. यह संगठन मई 1976 में स्थापित किया गया था. यह संगठन एक हिंसक पृथकतावादी अभियान शुरू कर के उत्तर और पूर्वी श्रीलंका में एक स्वतंत्र तमिल राज्य की स्थापना करना चाहते थे.
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लिट्टे पर प्रतिबंध: पृष्ठभूमि
भारत ने सबसे पहले 14 मई 1992 को लिट्टे पर प्रतिबंध लगाया गया था. उसके बाद से इस प्रतिबंध को बढ़ा दिया जाता है. भारत ने गैरकानूनी गतिविधियों संबंधी अधिनियम के अंतर्गत 14 मई 1992 को पड़ोसी देश श्रीलंका के विद्रोही संगठन लिट्टे पर प्रतिबंध लगाया था. वहीं इससे पहले ही यूरोपीय संघ, कनाडा और अमेरिका में भी इस संगठन पर प्रतिबंध था.
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