हाल ही में ‘विज्ञान और समाज’ जैसे विषय
पर चर्चा के लिए अमेरिकी और भारतीय वैज्ञानिकों का एक सम्मेलन हुआ है। इस
सम्मेलन के तीन मुख्य उद्देश्य थे।
- पहला उद्देश्य बौद्धिक समूहों को उजागर करना था, जिससे भारतीय प्रतिभाओं और ऐसे समूहों के बीच आदान-प्रदान हो सके। भारत में ऐसे कुछ समूह पहले से ही काम कर रहे हैं। हर समूह के पास संबद्ध विश्वविद्यालय और अनुसंधान केन्द्र हैं। इन केन्द्रों में बौद्धिक क्षमता का विकास हो रहा है। साथ ही ये विज्ञान को उद्योगों से जोड़ने का भी काम कर रहे हैं। अमेरिकी और भारतीय वैज्ञानिकों के वैचारिक आदान-प्रदान से इस प्रक्रिया को तेजी से बढ़ाया जा सकेगा।
- सम्मेलन में भारत और पश्चिमी देशों के वैज्ञानिक दृष्टिकोण को एक संयुक्त मंच मिला है। वैज्ञानिक अनुसंधानों को विस्तार देने के लिए एक बड़े समूह और भिन्न-भिन्न दृष्टिकोणों की आवश्यकता होती है। समुद्र विज्ञान पर जापान में उम्दा काम किया जा रहा है। इसी प्रकार ईजरायल में जल-संरक्षण और ब्राजील में वनस्पति जीनोमिक्स पर उत्कृष्ट दर्जे के अनुसंधान हो रहे हैं। इस प्रकार के मंच से इन सब अनुसंधानों को विस्तार दिया जा सकता है।
- देश में वैज्ञानिक चेतना का विकास करना भी इसका हिस्सा था। इस प्रकार के आयोजनों से जिज्ञासा, जांच, प्रयोग एवं साक्ष्य आधारित वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है। ऐसा होने से विज्ञान केवल वैज्ञानिकों तक सीमित नहीं रह जाता, वरन् वह जन-जन में व्याप्त हो जाता है।
अटल नवोन्मेष मिशन के माध्यम से भारत में
ऐसा प्रयास शुरू हो चुका है। इसके अंतर्गत अनेक विद्यालयों में अटल टिकरिंग
लैब खुल गई हैं, जिनमें न केवल विज्ञान बल्कि वाणिज्य और मानविकी संकाय के
विद्यार्थी भी अपनी वैज्ञानिक जिज्ञासा और प्रतिभा का भरपूर उपयोग कर सकते
हैं।
देश में वैज्ञानिक समूहों को सशक्त बनाने
और उनके विस्तार की उम्मीद की जा सकती है। इसके साथ ही वैज्ञानिक सम्मेलनों
की प्रासंगिकता एवं सार्थकता और भी अधिक बढ़ जाएगी।
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