200 साल बाद जब भारत को 1947 में अंग्रेजो से आजादी मिली, तब पहली बार देश में किसी को प्रधानमंत्री बनाया गया. इससे पहले देश में अलग अलग राजा हुआ करते थे, जो अपने हिसाब से शासन चलाया करते थे, आजादी के बाद देश को एकजुट करने व देश में एक ही सत्ता के लिए एक प्रधानमंत्री का चयन हुआ. इसी समय देश को पहला प्रधानमंत्री मिला. भारत के संविधान में प्रधानमंत्री को सरकार का सबसे प्रमुख बताया गया है, उन्हें राष्ट्रपति का प्रमुख सलाहकार कहा जाता है, साथ ही वे लोकसभा में बहुमत पार्टी के लीडर होते है. प्रधानमंत्री भारत की सरकार कार्यप्रणाली को सुचारू रूप से चलाते है.
प्रधानमंत्री संसद में कैबिनेट मंत्रीमंडल के मुखिया होते है. प्रधानमंत्री के द्वारा बनाई गई कैबिनेट मंत्रीमंडल की समिति में वे जब चाहें बदलाव कर सकते है, वे जिसे चाहे रख सकते है जिसे चाहे निकाल सकते है व उनके पद को भी बदल सकते है. प्रधानमंत्री के इस्तीफे व म्रत्यु से उनकी पूरी मंत्रिमंडल भी टूट जाती है. केन्द्रीय मंत्रिमंडल राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते है जो कार्यकारी के मामलों को देखता है. प्रधानमंत्री को लोकसभा में हमेशा बहुमत बनाये रखना होता है, अगर उनको राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित बहुमत नहीं मिलते है तो उनकी सरकार गिर जाएगी.
प्रधानमंत्री को अपना पद मिलते ही 6 महीने के अंदर संसद में सदस्यता लेनी पड़ती है. संसद द्वारा निकाले गए रुल के हिसाब से उन्हें दूसरी केन्द्रीय मंत्रीमंडल के साथ काम करना होता है. बाकि सभी संसद जनतंत्र की तरह प्रधानमंत्री के काम भी संविधान के पध्यती के अनुसार होते है, व लॉ के रुल यूनियन कैबिनेट व विधानमंडल को भी मानने पड़ते है. भारत का प्रधानमंत्री सरकार का मुख्य होता है, व उन पर कार्यपालिका शक्ति की ज़िम्मेदारी होती है.
प्रधानमंत्री रोल व ज़िम्मेदारी –
प्रधानमंत्री भारतीय सरकार के कामकाज व अधिकार को सुचारू रूप से चलाता है. प्रधानमंत्री को देश के राष्ट्रपति द्वारा संसद बुलाया जाता है, उन्हें बहुमत पार्टी के लीडर के रूप में बुलाया जाता है, जहाँ उन्हें अपनी कैबिनेट मंत्रिमंडल का गठन करना होता है व सबको कामकाज समझाना होता है. यहाँ प्रधानमंत्री पहले प्रैक्टिस के लिए राष्ट्रपति के सामने मंत्रिमंडल के कुछ लोगों के नाम सामने रखते है. प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति मिलकर कैबिनेट के मंत्रियों के नाम तय करते है, व मंत्रियों को देने वाले काम भी प्रधानमंत्री की सहायता व सलाह पर होता है. समन्वय का काम कैबिनेट सचिवालय के पास होता है, जबकि सरकार का काम बहुत से मंत्रालयों में फैला हुआ होता है. प्रधानमंत्री कुछ ऐसे भी विभाग बनाए रखते है जहाँ वे ऐसे लोगों को रखते है जो उनके मंत्रिमंडल के कार्यप्रणाली में शामिल नहीं होते है, लेकिन सहायता के लिए उन्हें रखा जाता है. कुछ ऐसे भी मंत्रालय भी होते है जो किसी कैबिनेट को नहीं मिलते है बल्कि वो खुद प्रधानमंत्री को देखने होते है. प्रधानमंत्री इन कामों को मुख्य रूप से देखते है –
- कैबिनेट कमिटी का गठन करना
- लोक शिकायत व पेंशन मंत्रालय
- योजना मंत्रालय
- परमाणु सुरक्षा विभाग
- अंतरिक्ष विभाग
देश के सभी मुख्य कामों में प्रधानमंत्री की उपस्थिती अनिवार्य होती है, बड़े तौर पर होने वाली मीटिंग, इंटरनेशनल मीटिंग में प्रधानमंत्री को हिस्सा लेना ही होता है.
भारत देश का प्रधानमंत्री बनने के लिए पात्रता –
- भारत देश का नागरिक हो
- लोकसभा व राज्यसभा के सदस्य हो, अगर प्रधानमंत्री बनने के बाद वे लोकसभा व राज्यसभा के सदस्य नहीं होते है तो उन्हें 6 महीने के अंदर इनकी सदस्यता हासिल करना अनिवार्य है.
- अगर लोकसभा के सदस्य है तो उम्र 25 साल व उससे अधिक व राज्यसभा के सदस्य है तो उम्र 30 साल व उससे अधिक होनी चाहिए.
- किसी भी प्राइवेट काम को सरकार के काम से नहीं जोड़ा जा सकता.
- अगर कोई भी प्रधानमंत्री पद को हासिल कर लेता है, तो उसे अपनी प्राइवेट व गवर्नमेंट किसी भी सेक्टर से अपने पद से इस्तीफा देना होगा.
- आजादी के बाद सभी प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल का विवरण नीचे दिया गया है
कांग्रेस
जवाहर लाल नेहरू
कार्यकाल – 15 अगस्त 1947 से, 27 मई 1964 तक, 16 साल और 286 दिनों के लिये सेवा प्रदान की।जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। उन्होंने आधुनिक मूल्यों और सोच को लेकर आधुनिक भारत को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह एक समाज सुधारक थे और समाज के प्रति उनके प्रमुख कार्यों में से एक कार्य प्राचीन हिंदू नागरिक संहिता में सुधार करना था। उन्होंने हिन्दू विधवाओं को संपत्ति और विरासत के संबंध में पुरुषों के समान अधिकार प्राप्त करने की अनुमति दी थी।गुलजारीलाल नंदा
कार्यकाल – 27 मई 1964 से, 9 जून 1964 तक, 13 दिनों के लिए सेवा प्रदान की।कार्यकाल – 11 जनवरी 1966 से, 24 जनवरी 1966 तक, 13 दिनों के लिए सेवा प्रदान कीवह भारत के पहले ‘अंतरिम प्रधानमंत्री’ थे।लाल बहादुर शास्त्री
कार्यकाल – 9 जून 1964 से, 11 जनवरी 1966 तक, 1 वर्ष और 216 दिनों के लिए सेवा प्रदान की।वह महात्मा गाँधी के निष्ठावान अनुयायी थे तथा उन्होंने “जय जवान जय किसान” जैसे लोकप्रिय नारे पर जोर दिया। शास्त्री नम्रता से बोलने वाले व्यक्ति थे। उन्होंने भारत में दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए ‘श्वेत क्रांति’ को बढ़ावा दिया था।इंदिरा गाँधी
कार्यकाल – 24 जनवरी 1966 से, 24 मार्च 1977 तक, 11 वर्ष और 59 दिनों के लिए सेवा प्रदान की।कार्यकाल – 14 जनवरी 1980 – 31 अक्टूबर 1984 तक, 4 वर्ष और 291 दिनों के लिए सेवा प्रदान की।इंदिरा गाँधी भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं तथा दुनिया में सबसे लंबे कार्यकाल वाली महिला प्रधानमंत्री बनी। उनके साहस और बहादुरी ने 1971 में भारत को पाकिस्तान पर जीत दिलाई। उन्होंने पड़ोसी देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में सुधार लाने के लिये महत्वपूर्ण योगदान दिया।जनता पार्टी
मोरारजी देसाई
कार्यकाल – 24 मार्च 1977 से, 28 जुलाई 1979 तक, 2 साल और 126 दिनों के लिये सेवा प्रदान कीमोरारजी देसाई भारत के पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने। उन्होंने तथा उनके मंत्रियों ने औपचारिक रूप से आपातकाल की स्थिति को समाप्त कर दिया जिसे इंदिरा गांधी ने लगाया था।जनता पार्टी (सेक्यूलर)
चरण सिंह
कार्यकाल – 28 जुलाई 1979 से, 14 जनवरी 1980 तक, 170 दिनों के लिए सेवा प्रदान की।उत्तर प्रदेश के राजस्व मंत्री के रूप में कार्य कर चुके चरण सिंह ने जमींदारी प्रणाली को हटाकर, भूमि सुधार अधिनियमों को लागू किया।कांग्रेस
राजीव गाँधी
कार्यकाल – 31 अक्टूबर 1984 से, 2 दिसंबर 1989 तक, 5 वर्ष और 32 दिनों के लिए सेवा प्रदान कीराजीव गाँधी 40 वर्ष की आयु में प्रधानमंत्री बने और कंप्यूटर को भारत में लाने में प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने वास्तव में भारतीय प्रशासन का आधुनिकीकरण किया। उन्होंने अमेरिका के साथ द्विपक्षीय संबंधों में सुधार किया था तथा आर्थिक सहयोग का भी विस्तार किया था।जनता दल
वी.पी. सिंह
कार्यकाल – 2 दिसंबर 1989 से 10 नवंबर 1990 तक, 343 दिनों के लिए सेवा प्रदान की।वी.पी. सिंह ने देश में गरीबों की स्थिति में सुधार करने के लिए काम किया।समाजवादी जनता पार्टी
चंद्रशेखर
कार्यकाल – 10 नवंबर 1990 से, 21 जून 1991 तक, 223 दिनों के लिए सेवा प्रदान की।कांग्रेस
पी.वी. नरसिम्हा राव
कार्यकाल – 21 जून 1991 से, 16 मई 1996 तक, 4 वर्ष और 330 दिनों के लिए सेवा प्रदान की।पी.वी. नरसिम्हा राव सबसे सक्षम प्रशासकों में से एक थे जिन्होंने प्रमुख आर्थिक सुधार किये थे। उन्हें भारतीय आर्थिक सुधारों के पिता के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने “लाइसेंस राज” को खत्म कर दिया और राजीव गाँधी सरकार की समाजवादी नीतियों को उलट दिया। उनकी विशेष क्षमता के कारण उन्हें चाणक्य भी कहा जाता था।भारतीय जनता पार्टी
अटल बिहारी वाजपेयी
कार्यकाल – 16 मई 1996 से, 1 जून 1996 तक, 16 दिनों के लिये सेवा प्रदान की।कार्यकाल – 19 मार्च 1998 से, 22 मई 2004 तक, 6 साल और 64 दिनों के लिये सेवा प्रदान की।अटल बिहारी वाजपेयी भारत के शिष्ट प्रधानमंत्री थे। उनके कार्यकाल के दौरान भारत में मुद्रास्फीति बहुत कम थी। उन्होंने आर्थिक सुधारों और विशेषकर ग्रामीण भारत की नीतियों पर काम किया। उनके कार्यकाल के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध थोड़े बेहतर हुए और दूरसंचार उद्योग में भी काफी उन्नति हुई।जनता दल
एच.डी.देवगौड़ा
कार्यकाल – 1 जून 1996 से, 21 अप्रैल 1997 तक, 324 दिनों के लिये सेवा प्रदान की।अपने कार्यकाल के दौरान देवगौड़ा ने गृह मंत्रालय, पेट्रोलियम और रसायन, शहरी रोजगार, खाद्य प्रसंस्करण, कार्मिक आदि मंत्रालयों पर अतिरिक्त कर भी लगाये। वह सामूहिक रूप से संयुक्त मोर्चा गठबंधन सरकार के नेता चुने गए थे।आई.के.गुजराल
कार्यकाल – 21 अप्रैल 1997 से, 19 मार्च 1998 तक, 332 दिनों के लिए सेवा प्रदान की।आई.के.गुजराल
आई.के.गुजराल ने सीटीबीटी (व्यापक परीक्षण प्रतिबंध संधि) पर हस्ताक्षर करने का प्रतिरोध किया था। प्रधान मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल में यह सबसे महत्वपूर्ण कार्य था। पोखरन परमाणु परीक्षणों का संचालन करने के लिए यह एक स्पष्ट तरीका था। उन्होंने पाकिस्तान के साथ संबंधों में सुधार लाने की दिशा में काम किया और गुजराल सिद्धांत के रूप में जाना जाने वाला पाँच सूत्री सिद्धांत दिया।कांग्रेस
मनमोहन सिंह
कार्यकाल – 22 मई 2004 से, 26 मई 2014 तक सेवा प्रदान कीमनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान सार्वजनिक कंपनियों के साथ-साथ बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में सुधार किये गये। उनकी सरकार ने वेल्यू एडेड टैक्स (वैट) लागू किया और उद्योग – नीतियों पर काम किया। उनके कार्यकाल में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन 2005 में शुरू हुआ था। आठ अतिरिक्त आईआईटी संस्थान आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, उड़ीसा, पंजाब, मध्य प्रदेश, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में खोले गए।भारतीय जनता पार्टी
नरेंद्र मोदी
कार्यकाल – मई 2014 से अब तकनरेंद्र दामोदर दास मोदी ने 26 मई, 2014 को भारत के 15 वें प्रधानमंत्री के रूप में अपना पद ग्रहण किया। 2014 में अपने कार्यकाल की शुरुआत के बाद से, उन्होंने शासन की एक सख्त और अनुशासित प्रणाली तैयार की और जन धन योजना, स्वच्छ भारत अभियान जैसी कई नीतियों को भी लागू किया। 5 वर्षों में महात्मा गाँधी की 150 वीं जयंती पर देश का उत्थान करने और गंगा को निर्मल बनाने के उद्देश्य से उन्होने जन स्वच्छ योजना तथा स्वच्छ भारत अभियान जैसी परियोजनाओं का संचालन किया है।
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